मिश्र बंधुओ का मिश्र बंधू विनोद
मिश्र बंधुओ का मिश्र बंधू विनोद
सन १९१३ में क्रिशनबिहारी मिश्र और शुकदेव बिहारी मिश्र और गणेश बिहारी मिश्र नामक तीन भाइयों ने मिश्र " बंधू विनोद " नामक ग्रन्थ लिखा था, उस समाया इसको तीन भागो में निकला था बाद में इसका चोथा भाग भी प्रकाशित हुआ था, अब यह पुन दो भागो में छापकर आया है | इस ग्रन्थ में हिंदी के ५००० कवियो का वर्णन है इन्होने नवरत्नो के नाम से हिंदी के तुलसी, सुर , देव, बिहरी , भूषण , मति राम , केशव, कबीर , चंद , इन नौ कवियो को लिया , तथा हरिश्चंद की भी आलोचना की
विशेषताएँ :
सन १९१३ में क्रिशनबिहारी मिश्र और शुकदेव बिहारी मिश्र और गणेश बिहारी मिश्र नामक तीन भाइयों ने मिश्र " बंधू विनोद " नामक ग्रन्थ लिखा था, उस समाया इसको तीन भागो में निकला था बाद में इसका चोथा भाग भी प्रकाशित हुआ था, अब यह पुन दो भागो में छापकर आया है | इस ग्रन्थ में हिंदी के ५००० कवियो का वर्णन है इन्होने नवरत्नो के नाम से हिंदी के तुलसी, सुर , देव, बिहरी , भूषण , मति राम , केशव, कबीर , चंद , इन नौ कवियो को लिया , तथा हरिश्चंद की भी आलोचना की
विशेषताएँ :
- मिश्रबंधुविनोद में लेखकों की राजनातिक , सामाजिक , साहित्यिक , गतिविधयो के बारे में बताया है, इससे उस युग की भूमिका का स्वरूप सामने आता है |
- इस रचन में अनेक अज्ञात कवि प्रकाश में आये है, खोज पूर्ण विवरण कई है |
- इसमें ८ से आधिक खंड बनाये गए है तथा अपने वक्तव्य भी दिए गए है |
- इस रचन में कवियो की रचनाओ के उधाहरण तथा उनकी रचनाओ का एक अच्छा स्वरुप प्रस्तुत हुआ है |
- हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार आलोचनात्मक द्रस्टी का प्रयोग हुआ है |
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