दिल्ली सरकार ने गोद लिया अंत तह एक लड़का

सारी दिल्ली में चर्चा थी किन्तु अंत में दिल्ली सरकार ने इसका अंत कर ही दिया,  दिल्ली की जनता काफी दिनों से अपनी प्यारी मेट्रो का इंतज़ार किया और जब वो दिल्ली में आई तो पुरे दिलो जान से उसका स्वागत किया और सर आँखों पर बैठाया और और कहा की घर में लक्ष्मी रूपी मेट्रो आई है , आखिर दिल्ली दिल वालो की है , ये बात सर्वव्यापी है  किन्तु जब दिल्ली सरकान  और उसको जीवन देने वाले दिल्ली मेट्रो निगम ने मेट्रो को पुकारा तो उन्होंने अपनी इस मेट्रो को पुरुष का दर्ज़ा दिया , TO कहा के मेरा मेट्रो आया है , दिल्ली वालो को मेट्रो रूपी नारी देह में पुरुसत्व का नामकरण कुछ  अटपटा सा लगा अतः  अब एक  तरफ दिल्ली की जनता है और एक तरफ उसको जनम देने वाले तो भैया दिल्ली की जनता अपने जनार्दन के सामने क्या कह सकती है , जनता जनार्दन है ये सिर्फ अब केवल मिथक ही है  अब तो में  भी कहूँगा की मैं  मेरा मेट्रो से में राजीव चौक जा रहा हूँ  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदी साहित्य का इतिहास लेखन में समस्या

हिंदी साहित्य का इतिहास लेखन की परंपरा शिव सिंग सेंगर KA शिव सिंह सरोज