सरकारी मुनादी
महंगाई के इस दोर में सरकार को निम्न वर्ग की याद आई , मतलब सरकार को निम्नतम वेतन के बढाने पर इस बात के लिए में तत्कालीन सरकार को बधाई देता हूँ तथा इसी बात पर एक छोटा सा एक किस्सा याद आ गया की " किसी गाँव में राजा नई योजनाये लागु करने की बात करता था , और उसका सारा विभाग भी केवल इसी चीज़ को खास तवाजो देता था , तो एक बार एक बालक ने बजते ढोल को देख कर अपने पिता से पूछा की पिताजी ये क्या होता है रोज़ तो उसके पिता ने कहा की कुछ नहीं बेटा , ये सरकारी मुनादी है , हमें बहलाने आती है केवल , " अत इस बात की ओर उनका धयान आकर्षित करना चाहता हु की निम्नतम वेतन बढाने के साथ ही उन्हें इसके लागू करने पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए , अन्यथा इस का हाल भी वही होगा जो अक्सर अन्य सरकारी योजनाओ का होता है , २००९ का निमानतम वेतन ४११९ - ४३७७ तक था , किन्तु क्या इतना वेतन भी निम्न वर्ग को मिल प् रहा था इसमें कोई शंशय नहीं पूर्ण विश्वास है की नहीं मिल पा रहा था , लोग २००० से ३००० के मासिक वेतन पर कार्य कर रहे थे और आज भी निम्नतम वेतन बढ़ जाने पर भी उस गरीब को कोई लाभ होगा इसमें मुझे संदेह है ,
अत मेरा सरकार से अनुरोध है की वह इस वेतन को सख्ती के साथ लागु करे ,ताकि ये केवल सरकारी मुनादी न बन कर रह जाये
अत मेरा सरकार से अनुरोध है की वह इस वेतन को सख्ती के साथ लागु करे ,ताकि ये केवल सरकारी मुनादी न बन कर रह जाये
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