हद

क्यों  क्या सो गए हो
कायर तो नहीं हो
फिर क्यों आज यहाँ नहीं हो

क्यंकि जब दर्द
हद से गुजर जाता है
तो दवा बन जाता है
क्या तेरे आने की
अभी हद नहीं आई
अरे अब तो चल
उठ
समय बड़ा विकट है
सिर्फ मेरा ही नहीं प्रश्न
ये प्रश्न सबके निकट है

समय आज ऐसा है की
अब रुकना मुश्किल है
 एक वो भी था के जब
रुकना मुश्किल था
न तब रुके थे लोग
हँसते हंसते लड़े थे
इस पाप इस अत्याचार से
जम जम के लड़े थे
न तब रुके थे लोग
न अब रुकेंगे लोग
न  कर इन्तजार
अब किसी चमत्कार का
अपने मरे बिना स्वर्ग
नहीं मिला किसी को
और कितनी हद चाहता है
और कितनी जद चाहता है

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