कलमाड़ी को लगी छूत कि बीमारी

सूत्रों से ज्ञात हुआ है  'कि कलमाड़ी को कल डिमेंशिया अर्थात भूलने कि बीमारी लग गई, कहाँ से पता चला है अरे वही इन मीडिया के सूत्रों से ओ हो आप भी!!!  अजी इन मीडिया वालो के सूत्रों में कोई दम नहीं होता ये तो बढ़ा चड़ा के बात को बताते है इन्हें तो सिर्फ टी आर पी बढ़ानी है, एक तरफ खबर छाप देंगे बगल में ही उसका विरोध करने वाली खबर छाप देंगे, आज कल यही इनका काम है इधर से भी लिया और उधर से भी लिया बस इनका काम बन गया  इनका कोई भरोसा नहीं| हमारे भी सूत्रों ने पता किया है खबर तो ये थी कि सुबह दो बार कलमाड़ी बाथरूम में गिरे, खबर में खैर इसमें भी दम नहीं है अब एक बार आदमी गिर ही गया तो दो बार और गिर गया तो क्या हुआ लेकिन मीडिया वालो ने इसे भी बढ़ा चड़ा कर पेश कर ही दिया खैर खबर  ए  खास  पर आते है तो कलमाड़ी जी कि गाडी बाथरूम में स्लिप मार गई तो ये इससे ये बात निकल के आई है कि उन्हें भूलने कि बीमारी हो गई है भाई गिरने से भूलने कि बीमारी का क्या सम्बन्ध है ये समझाओ  तत्पशचात में  तुम्हे अंदर कि बात बतलाऊंगा हाँ तो जनाब लोग इतने गिर रहे है,  अधिकारी इतना नीचे गिर गए , अभिनेता  कहा से कहाँ पहुँच गए, नेता लोग तो रसातल में पहुँच गए, नेत्रिया गिर गई अभिनेत्रिया  भी गिर गई ,  वैज्ञानिको का कहना है कि ये प्रथ्वी भी प्रति वर्ष नीचे गिर रही है तो क्या सबको भूलने कि बीमारी हो गई है| और रही अंदर कि बात तो वो ये है कि कल कलमाड़ी जी जब सुबह उठे तो जेल के सुइट को उन्होंने अपना घर ही समझा और रोज कि तरह अपने बाथरूम के कमोड को बाथटब समझ कर उसमे लेटने कि कोशिस करने लगे तो उनके सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें ऐसा करते देखा तो उन्हें लगा कि उन्हें चक्कर आ रहे है बस खबर उड़ गई |



और ये तो होना ही था वैसे कलमाड़ी  जी कौड़ी तो बड़ी दूर कि लाए है इनसे पहले के राजनीतिज्ञ जो तिहाड़ भ्रमण पर थे उन्होंने अपने किये कारनामो के अनुसार रोग चुना जिन नेताओ ने दौड दौड कर रात दिन एक कर के मनी अर्जित कि उन्होंने अपने घुटने तिहाड़ में टेक दिए, जिस पेट के अंदर अरबो को पचाने का दम था उन्हें तिहाड़ में दस्त लग गए, जिनका कभी गरीब का पैसा खाते समय दिल न पसीजा उनका दिल तिहाड़  का खाना खा कर बीमार हो गया, इसी क्रम में इस प्रतियोगिता में कलमाड़ी ने सबको पछाड़ते हुए दिल कि सर्जरी, उच्च रक्त चाप और मधुमेह कि बीमारी पर तो कब्ज़ा किया ही बल्कि अपने दिमाग  जिसका उन्होंने  कॉमन वेल्थ गेम्स में  प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया था अब  उसी दिमाग कि विशेष योग्यता का उपयोग कर "डिमेंशिया" अर्थात भूलने कि बीमारी को प्राप्त कर के घोटालों के कॉमन वेल्थ गेम्स में प्रथम स्थान पा लिया है इससे पता लग जाता है कि उन्होंने कॉमन वेल्थ गेम्स में किस तरह दिन रात एक कर के अपना तन मन शरीर का एक एक प्रत्यंग लगा दिया था |

वैसे ज्ञात हुआ है कि वो अपने दैनिक नित्य कर्म के कोई काम नहीं भूलते है चलो ये अच्छा है वरना तो बड़ी दिक्कत हो जाती हाँ सही है बेडमिंटन खेलना याद है , सुबह उठ कर मोर्निंग वाक् पर जाना याद रहता है, अच्छे डॉक्टर से इलाज कराना है ये भी याद है, बस भूल गए है तो कुछ शब्द जैसे उन कंपनियों के नाम , काला धन नामक शब्द, घोटाला , स्विस कंपनियां, है या उन लोगो के नाम जो उनके इस काले काम में साझीदार थे |

सुना है कि ये बीमारी छुआछूत कि है, हाईईईईईईई, क्या बात कर रहे हो? ये कोई छुआछूत कि बीमारी है लेकिन सूत्रों ने जो इसका भी तर्क दिया है वो ये है कि उनकी बिमारी छुआछूत कि है इसीलिए उन्हें आम गाड़ी से अन्य कैदियों के साथ नहीं वरन के स्पेशल गाडी में कोर्ट ले जाया जायेगा तर्क दिया गया है कि २ जी और ३ जी घोटालों के आरोपियों को ये बीमारी न लग जाये देश को एक बड़े नुक्सान से बचने के लिए,  इसलिए यह कार्य अत्यंत मजबूरी में किया जा रहा है तथा उनका सेल भी बिलकुल अलग कर दिया गया है कोई सेल खाली नहीं था तो स्पेशल वि ० आई ० पी ० सेल में उनका आशियाना बनाया गया है, कितनी निस्वार्थ भाव से पक्षपात रहित होकर तिहाड़ जेल के अधिकारियो ने ये व्यवस्था कि कमाल है ! और  हाँ इसी भूलने भुलाने के क्रम में कलमाड़ी कि तिहाड़ टी पार्टी कि बात को सिरे से भुला दिया गया है अब तो इन सब बातो के तर्क उनके पास इस खास बीमारी के मद्देनज़र मौजूद है कि वो जेल सुपरिटेंडेंट के कमरे को अपना ऑफिस समझ बैठे थे|

धन्य हो हमारी सरकार जिन्हें आम आदमी कि इतनी फ़िक्र है,  धन्य हो हे भारत भूमि जिन्होंने ये लाल पैदा किये है

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