चुनावी चाँद बनाम अमावस्या

सर्वप्रथम राहुल जी को नमन उम्र में बड़े होने के कारण व् भारतीय परंपरा व् संस्कृति के दुर्लभ प्राय कुछ अंश जो राजनीती में घडियाली आंसू कि तरह चुनावी ऋतू में  दीखते है, तथा जिन्हें अभी राजनीती का चस्का नहीं लगा है उन राजनीती से अछुते लोगो में जो भारतीय परम्परा व् संस्कृति के अंश अभी तक जीवित है उनके फलस्वरूप आपको जी कह कर व् नमन कर अपने विचार प्रकट कर रहा हूँ,  (अगर नेताओ कि भाषा  जैसे वो संसद से लेकर अपने भाषणों में बोलते है प्रकट करने लगूं तो मेरा ये छोटा सा ब्लॉग २ दिन के भीतर बंद हो जायेगा)  तत्पश्चात आपको नेता बनने कि बधाई देता हूँ  नेता बनने के लिए जो भी  विशेषताएं किसी व्यक्ति में होनी चाहिए वो अब आपमें पूरी तरह लक्षित हो रही है, और नेताओ कि तरह आप भी चुनावी चाँद बन चुके है तथा जहां भी चुनाव नज़र आते है वही आपके दर्शन हो जाते है बाकि जगह आपके  दर्शन दुर्लभ ही है  तो बधाई हो  आपको जो आपने नेताओ कि प्रथम विशेषता को आपने पूर्ण रूप से आत्मसात कर लिया है |

आज कल आपके द्वारा व्यक्त विचारों में से कुछ विचार खबरों के रूप में  में प्रस्तुत कर रहा हूँ और अत्यंत विवश हो कर जी हाँ क्योंकि कभी में आपको युवाओ का अगुआ समझ बैठा था , और कुछ उम्मीदे भी लगा ली थी उन उम्मीदों के टूटने से मेरे अंतर्मन में द्वन्द उत्पन्न हो उठा था उसका दमन करने का प्रयास कर रहा हूँ  सकारात्मक रूप से न सही नकारात्मक रूप से ही सही  |
खबर :
उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले के दौरे पर निकले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने केन्द्रीय धन के दुरुपयोग के साथ ही बढ़ती बेरोजगारी के लिए भी राज्य सरकार को निशाने पर लिया
पूर्वाचल के दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन राहुल ने बलिया के टीडी कॉलेज में पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उठे सवालों के जवाब में कहा कि बेरोजगारी की समस्या के लिए केन्द्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकार जिम्मेदार है.
उन्होंने इस संबंध में पूछे गये एक सवाल पर कहा, ‘उत्तर प्रदेश के युवक प्रदेश से बाहर निकले और यह समझे कि हरियाणा और महाराष्ट्र में बेरोजगारी क्यों नहीं है.’


कांग्रेस महासचिव जी आपने उपरोक्त परिछेद में बेरोज़गारी कि समस्या को लक्षित किया है  देश में तो  नहीं अपितु आपके अनुसार कुछ राज्यों में बेरोज़गारी कि समस्या व्याप्त है, इसीलिए चुनाव से ठीक पहले आप वहाँ पहुँच गए  तो दीगर बात ये है कि  "बेरोज़गारी केवल राज्य स्तर कि समस्या है और इसके लिए केवल और केवल राज्य ही ज़िम्मेदार हैं " | कांग्रेस महासचिव जी आपने इसी वार्तालाप के क्रम में हरियाणा और महाराष्ट को आदर्श राज्य बतलाया है जिनमे बेरोज़गारी कि समस्या खतम हो चुकी है इस बात को सोचते हुए और लिखते हुए मुझे  क्रोध कम  हंसी आ रही है कि जो बात आपने हरियाणा  और महारास्ट्र के बारे में उत्तर प्रदेश में कही वही बात आप कही हरियाणा या महाराष्ट्रा में न कह देना अन्यथा आपको इसका प्रत्युतर आपकी बात खतम होने से पहले आपको मिल जायेगा | कभी आप  अपनी पार्टी  द्वारा सत्तारूढ़ राज्यों कि हालत किसी गरीब कि आँखों से देखिये बेरोज़गारी का हर प्रकार आपको वह मिल जायेगा | यही मै हरियाणा और महाराष्ट के युवकों , और उनके माता पिता से प्रश्न करता हूँ कि क्या आपका व् आपके बालको का भविष्य सुरक्षित है, क्या आपके राज्य में बेरोजगारी नहीं है ,आपकी जो भी प्रतिक्रिया है वो  मुझे यहाँ इस ब्लॉग पर टिप्पडी के रूप में अवश्य दे


कांग्रेस महासचिव जी भारत जैसे देश में बेरोज़गारी कि समस्या को राज्य कि समस्या नहीं अपितु इससे निबटने के लिए केंद्र को एक सुद्रढ़ नीति बनानी होगी भारत जैसे देश में एक आर्थिक नीति कि आवश्यकता निरंतर महसूस हुई है अभी भी लोगो के जीवन स्तर में निरंतर  सुधार कि आवश्यकता, व् विकास कि उच्च  दर  नितांत आवश्यक है| समाज के सभी वर्गों के लिए रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धि, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि इन  उद्देश्यों  का समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अति आवश्यक है, हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार के मोर्चे पर स्थिति बहुत अधिक वांछित नहीं है अभी भी बेरोजगारी भारत कि प्रमुख समस्या बनी  कि बनी  पड़ी है | अगर शन शन विकास कि बात कि जाये तो आपकी पार्टी के शासन को एक लंबा अरसा हो गया है भारत कि जनता ने आपसे भरपूर आशायें लगा कर आपको निरंतर सत्ता में बनाये रखा किन्तु उसका  प्रतिफल कुछ न निकला |

रोजगार सृजन पर सरकार की नीतियों के प्रभाव को समय - समय पर मूल्यांकन किया जा सकता है किन्तु ऐसा किया नहीं जाता इतनी महत्वपूर्ण समस्या को किस तरीके से अनदेखा किया जा रहा है
वर्तमान में तथापि, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के द्वारा  प्रत्येक पाँच वर्ष का सर्वेक्षण के रूप में हर पांच साल के अंतराल के बाद देश में बेरोजगारी रोजगार की स्थिति पर आंकड़े उपलब्ध करता है  दूसरी तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देशों में  जहा बेरोज़गारी कि समस्या भारत  के सामने कुछ भी नहीं वह बेरोजगारी पर  हर मास मासिक आँकड़े श्रम सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी किए जाते है |
 
हाँ ये सही है कि फाईलों में , रिपोर्टो में और आंकडो में  बेरोजगारी को कम दिखाना या आपके अनुसार समाप्त  प्रदर्शित कर देना अत्यंत सरल कार्य है आंकडो के साथ कैसे खेला जाता है ये सब जानते है  इसका ताज़ा द्रष्टव्यः ग्रीस है  कि किस तरह पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं अपने फायदे के लिए देश को गर्त में धकेल रही  हैं। अमेरिका एक शुरुआत थी और उससे हम ज़्यादा सबक सीखने में नाकाम रहे क्योंकि एक तो अमेरिका अपने विशाल पूंजीकोश के दम पर उससे अभी तक लड़ पा रहा है, दूसरा हम पर उस मंदी का कोई ज़्यादा असर नहीं पड़ा। लेकिन हम शायद इसी बात से बेहद उत्साहित हैं कि पिछली मंदी से हम लड़ ले गए, हमें ये सोचना भी गंवारा नहीं कि अगली बार भी हम लड़ पाएं, ये ज़रूरी नहीं है। ज़ाहिर है इसी लिए हमारी सरकार हमेशा की तरह बर्फ सी ठंडी है, देश आंदोलन-आंदोलन खेल रहा है, विपक्ष असल मुद्दों से ध्यान भटकाने में लगा है और हमारी प्यारी मीडिया हमेशा की तरह खबरों को बासी समोसों की तरह दोबारा गर्म कर के तरह तरह की चटनियों के साथ बेचने की कोशिश में है।

दरअसल ग्रीस का संकट उन तमाम विकासशील मुल्कों के लिए एक संकेत है जो विदेशी कर्ज़ के बल पर विकास बल्कि तेज़ विकास का दम भर रहे हैं। ग्रीस का आर्थिक संकट उस हेरफेर की उपज है जो आमतौर पर इस तरह के तमाम देश विदेशी कर्ज़ हासिल करने के लिए करते हैं। ग्रीस ने कुछ ऐसा ही किया था, देश के सरकारी हिसाब में फ़र्ज़ीवाड़ा कर के लाभ दिखाया, जीडीपी को बढ़ चढ़ा के पेश किया गया और उसके आधार पर लगातार कर्ज़ लिया जाता रहा। ये कर्ज़ आज जीडीपी के अनुपात में 180 फीसदी पहुंच चुका है, और 2009 में यूरोपीय यूनियन की जांच में इस वित्तीय हेरफेर का खुलासा हुआ। ग्रीस को इस सच के सामने आने के बाद एक साल की मोहलत दी गई, 110 अरब यूरो का पैकेज दिया गया, लेकिन ग्रीस ने सुधरने का ये मौका भी गंवाया, पर क्या ये संभव मौका भी था इस पर आगे बात क्योंकि अभी पहला सवाल ये है कि ये वित्तीय हेरफेर हुई क्यों और क्या ऐसा हो सकता है कि ग्रीस अपने आप में ऐसा अकेला मामला हो?



और यही इसमें यह जोड़ना चाहूँगा कि भारत में बेरोज़गारी के आंकड़े श्रम विभाग के भी अंतर्गत प्रस्तुत किये जाते है वस्तुत भारत के बेरोज़गारी उन्मूलन कार्यकर्म में श्रम विभाग का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है, बेरोजगारी बढ़ाने के मूल में श्रम विभाग का ही हाथ है भारत के ग्रामीण क्षेत्र व् कस्बो बड़े नगरों कि तो बात ही छोड़ दें भारत के महानगरों में भी इस विभाग को श्रमिक एक पुलसिया विभाग कि तरह देखते है जिनके पास  शिकायत करने का मतलब हैअपनी नौकरी तो  खो ही दोगे अपितु आगे भी कही नौकरी नहीं मिलेगी  श्रमिक को तो कुछ नहीं मिला हा मिला  तो उस श्रम निरीक्षक को जिसे प्रबंधन ने  एक  मोटी गड्डी पकड़ा दी और आगे भी मंथली  पहुँचाने का वादा कर दिया और उसे भी छूट मिल गई सभी तरह के श्रम नियमों से जिसमे नियुक्ति पत्र से आरम्भ होकर , न्यूनतम वेतन , व बिना कारण नौकरी से निकलना तक शामिल है , अत : इस विभाग से रोज़गार बेरोज़गारी कि कोई भी रिपोर्ट लेना आँखों पर जान बुझ कर पट्टी रखने के समान है | जब दिल्ली , मुंबई , चेन्नई जैसे महानगरों में ये हाल है तो गांव देहातों, छोटे शहरो का क्या होता होगा इस पर चर्चा करू तो फिर एक अलग ही मुद्दा आरम्भ हो जायेगा | 


 आप अपने क्षेत्र कि समस्याओ को अनदेखा कर दूसरों के दोष निकाल रहे है आप कह रहे है कि उ . प्र में बेरोजगारी है हरियाणा और महाराष्ट में नहीं है तो राहुल जी  मैं सभी भारत के जन मानस कि तरफ से यह स्पष्ट करना  चाहूँगा कि बेरोज़गारी को क्षेत्रीय समस्या न देखे  यह  राष्ट्रीय स्तर कि समस्या है  और इसका निवारण राष्ट्र स्तर पर नीति बना कर ही किया जा सकता  है |     कांग्रेस महासचिव जी अगर आपने एक बार किसी सभा में बिना पैसो के बुलाए लोगो से ये पूछ लिया या एक सर्वेक्षण भी करा लिया तो आपकी भ्रान्ति आपके पूछने से पहले खतम हो जायेगी | 

अब ये तो ईश्वर ही जाने कि कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में छाई इस काली घटा में ये चुनावी चाँद क्या कुछ  प्रकाश फैला  पायेगा |
अभी इस मुद्दे पर फिर लौट कर आऊंगा लेख अभी अधूरा है फिर भी पोस्ट कर रहा हूँ इसे भी पूरा करूँगा और  नीचे दी खबरों  पर भी  विचार करेंगे |







यह कहते हुए कि पिछले 20-25 वर्ष से उत्तर प्रदेश में जाति धर्म की राजनीति हो रही है और यह राज्य दिनों दिन पिछड़ता जा रहा है.

राहुल ने कहा, ‘यहां लोग प्रदेश के बारे में बात नहीं करते. वे अपनी जाति और धर्म के बारे में बात करते है.’ उन्होंने कहा कि सारी दुनिया आगे बढ़ रही है, 15 साल पहले आंध्र प्रदेश कहां था और आज कहां पहुंच गया है, जबकि उत्तर प्रदेश पिछड़ता जा रहा है.


केंद्र सरकार धन उपलब्ध करा सकती है, मगर उसका सदुपयोग उत्तर प्रदेश सरकार को करना है, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा, ‘केंन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश को मनरेगा, एनआरएचएम (राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन) आदि योजनाओं तथा बुंदेलखंड आदि अंचलों के विकास के लिए जबरदस्त आर्थिक सहयोग कर रही है. बुनकरो की सहायता के लिए तीन हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया है, मगर इसका सदुपयोग होगा भरोसा नहीं होता.’
एनआरएचएम में धन के जबरदस्त दुरुपयोग और बंदरबांट का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि इस योजना के क्रियान्यवन के बारे में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्ति की गयी जानकारी से खुलासा हुआ है कि यहां एक औरत को हर दस दिन पर बच्चा पैदा होता है.
उत्तर प्रदेश में राजनीति की दिशा बदलने के लिए युवकों को आगे आने का आहवान करते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘यदि भट्टा पारसौल गांव के पांच सौ किसान एकजुट होकर देश के भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए मजबूर कर सकते है, तो हर क्षेत्र में अगर पांच-पांच युवक एकजुट हो जाये तो व्यवस्था भी बदल सकते है.’
संवाद सत्र में कुछ युवकों ने ये सवाल करके कि क्या वे अपनी मां और अपने संसदीय क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी की ही तरह बलिया की तरफ भी ध्यान देगे और बेरोजगार युवक कांग्रेस से क्यों जुड़े, के जरिये राहुल को घेरने की भी कोशिश की.
इससे पूर्व शुक्रवार सुबह मऊ से बलिया आने की राह पर राहुल रेशम उद्योग के लिए कभी मशहूर रहे आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर इलाके में निवादा गांव भी गये और वहां चौपाल लगाकर बुनकर समुदाय की समस्याएं सुनी. निवादा में एक घंटे के प्रवास के दौरान व्यावसायिक समस्याएं जानने के साथ जब राहुल ने उनसे यह पूछा कि केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग के बुनकरों के लिए शुरू की गयी ‘स्मार्ट कार्ड’ योजना का लाभ उन्हें मिल रहा है कि नहीं, तो बुनकरों ने एक स्वर में कहा कि सारा लाभ बिचौलिए और दलाल खा ले रहे हैं.





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