GALIB KE SHER [ISHQ KI TABIYAT NE]

इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,


दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया ।

हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,

हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।

शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का,

आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।

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