GALIB KE SHER

बूए-गुल, नालए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल


जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला ।

चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,

बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला ।

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